मोहन जोदड़ो के रहस्यमयी तथ्य || Mohenjo Daro Secret Facts In Hindi###
मोहन जोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History Hindi
Mohenjo Daro History Hindi मोहन जोदड़ो की बातें इतिहास के पन्नों में बहुत ही मशहूर है। मोहन जोदड़ो प्राचीन सिंधु घाटी का रहस्यामी महानगर है जो की अभी दक्षिणी एशिया के सिन्धु नदी के पश्चिम में लरकाना डिस्टिक, पाकिस्तान में मौजूद है। मोहन जोदड़ो का अर्थ है “मुर्दों का टीला”। यह मनुष्य द्वारा निर्मित विश्व का सबसे पुराना शहर माना जाता है जो की सिन्धु घटी की सभ्यता से जुड़ा है। यह पहले भारत में था परन्तु 1947 के बाद पाकिस्तान के अलग होने पर यह पाकिस्तान का हिस्सा है।
मोहन जोदड़ो की खोज और खुदाई
मोहन जोदड़ो की खोज साल 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के ऑफिसर R. D. Banerji आर. डी. बनर्जी ने किया था। यह शहर का अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है। हड्डापा में दो साल तक बहुत ही ज्यादा खुदाई के बाद, हड्डापा से कुछ 590 किलोमीटर उत्तर दिशा में मोहन जोदड़ो की खोज हुई। साल 1930 में इस जगह में बहुत ज्यादा खुदाई की गयी जॉन मार्शल, के. एन. दीक्षित, अर्नेस्ट मक्के के निर्देश के अनुसार।
बाद में मोहन जोदड़ो की ज्यातर खुदाई साल 1964-1965 में डॉ. जी. ऍफ़. डेल्स ने किया। इसके बाद इसकी खुदाई को रोक दिया गया ताकि इसकी संरचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए तथा गलने या अपक्षय होने से रोकने के लिए माना जाता है कि यह शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था और कहा जाता है 100 साल में जितना भी खुदाई हुआ है वह मात्र इस सहर का एक तिहाई ही है। इसकी खुदाई में बड़े पैमाने में इमारतें, धातुओं की मूर्तियाँ और मुहरें आदि मिलें हैं।
वर्ष 1980 के व्यापक वास्तु दस्तावेज में, मोहन जोदड़ो के विस्तृत सतह सर्वेक्षण और सतह की जांच जर्मन और इटली के टीम डॉ. माइकल जनसन और डॉ. मोरिज़ो टोसी ने किया।
मोहन जोदड़ो के रहस्यमयी तथ्य Mohenjo Daro Facts in Hindi
#1 कहा जाता है यह सभ्यता 5500 साल पुराना होने के साथ-साथ इसकी जनसँख्या 40000 से भी अधिक थी। लेकिन IIT खरगपुर के वैज्ञानिकों ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (ए.एस.आई) नें हाल ही में सबूतों से साथ खुलसा किया है कि सिंधु घटी सभ्यता और मोहन जोदड़ो 5500 नहीं बल्कि 8000 वर्ष पुरानी सभ्यता है।
#2 सिन्धु घटी संस्कृति में ऐसे कई स्थान पाए गए हैं जहाँ लोग रहा करते थे और साथ ही अवशेषों से यह भी ज्ञात हुए है की उस समय युद्ध का कोई नाम भी नहीं लेता था। साथ ही वे पानी के लिए कुओं का भी उपयोग करते थे। mohenjo daro religion
#3 मोहन जोदड़ो विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता के रूप में पाई गयी है जो 4 प्राचीन नदी से जुडी हुई है तथा यह पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान में कुल 12 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
#4 मोहन जोदड़ो के समय काल में लोग पत्थरों के आभूषण पहनना बहुत पसंद करते थे। ये आभूषण बहुत ही कीमती पत्थरों से तैयार किये जाते थे।
#5 मोहन जोदड़ो के देव मार्ग वाले गली में करीब चालीस फुट लम्बा, पच्चीस फुट चौड़ा और छे फुट गहरा प्रसिध्द जल कुंड मिला है जो की बहुत ही मज़बूत रूप से बनाया गया है।
#6 इतिहासकार इरफ़ान हबीब के अनुसार मोहन जोदड़ो के लोग रबी की फसल करते थे जहाँ गेहूँ, सरसो, कपास, जौ और चने की खेती की जाती थी जिसकी खुदाई में पुख़्ता सबूत मिले हैं।
#7 मोहन जोदड़ो की खुदाई मे कपडो को रंगाई करने के लिये एक कारखाना भी पाया गया है।
#8 मोहन जोदड़ो में खुदाई पर बहुत ही बड़ा और सुन्दर बुद्ध स्तूप भी मिला।
#9 मोहन जोदड़ो शहर की गलियों में आज भी आप घूम सकते हैं। वहां की दीवारें आज भी बहुत मज़बूत हैं।
#10 आज भी कराची, लाहौर, दिल्ली और लंदन में मोहन जोदड़ो के संग्रह की गयी वस्तुओं का संग्राहलय है। इस संग्रह में काला पड़ गया गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य, चाक पर बने विशाल मृद्-भांड, उन पर काले-भूरे चित्र, चौपड़ की गोटियाँ, दीये, माप-तौल पत्थर, ताँबे का आईना, मिट्टी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे पत्थरों के मनकों वाले हार और पत्थर के औज़ार हैं।
11# मोहन जोदड़ो की खुदाई के समय बहुत ज्यादा अन्न के भंडार भी मिलें हैं जिनसे यह पता चलता है की उस समय के लोगों को अनाज संग्रह करना भी आता था।
12# सिधु घटी सभ्यता के पतन का कारण आज तक सही तरीके से ज्ञात नहीं हो पाया है हलाकि शोधकर्ताओं का कहना है इसका कारण रेडियोएक्टिव रेडिएशन था।
13# मोहन जोदड़ो में कुछ ऐसे भी सबुत मिले हैं जिससे यह पता लगता है कि सिन्धु घाटी के लोगों ने शतरंज से मिलता झूलता खेल भी सिख लिया था।
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